टैरिफ क्या है? आसान भाषा में समझिए

टैरिफ किसे कहते हैं?

आजकल हमें एक शब्द बार बार सुनने को मिल रहा है और वह शब्द है टैरिफ।अमेरिका ने लगाया भारत पर 25% टैरिफ,ट्रंप ने लगाया भारत पर 50% टैरिफ आदि।
टैरिफ क्या है?टैरिफ क्यों लगाया जाता है?टैरिफ से क्या फ़ायदा होता है और क्या नुक़सान होता है।

जब भी हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) की बात करते हैं, तो एक शब्द बार-बार सुनने को मिलता है “टैरिफ”। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये टैरिफ आखिर होता क्या है? और इसका आपके देश की अर्थव्यवस्था या आपकी जेब पर क्या असर पड़ता है?

टैरिफ की परिभाषा

टैरिफ (Tariff) एक तरह का कर (Tax) होता है, जो किसी देश की सरकार दूसरे देश से आयात (Import) की गई चीजों पर लगाती है।
सीधे शब्दों में कहें, तो जब कोई सामान एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है और वहां बेचा जाता है, तो उसपर एक शुल्क (फीस) लिया जाता है – इसी शुल्क को टैरिफ कहा जाता है।

टैरिफ लगाने के बाद क्या होगा?

मान लीजिए भारत अमेरिका से मोबाइल फोन मंगवाता है।
अगर सरकार ने उन मोबाइलों पर 20% का टैरिफ लगाया है, तो इसका मतलब है कि अमेरिका से जो भी मोबाइल भारत आएगा,उनके दाम पर 20% टैक्स और जुड़ जाएगा।

अगर फोन की असली कीमत ₹20,000 है
और 20% टैरिफ लगा है,
तो कस्टम ड्यूटी = ₹4,000
कुल कीमत = ₹24,000

टैरिफ लगाने के पीछे उद्देश्य

टैरिफ लगाने के दौरान दोनों देश एक दूसरे से व्यापार संतुलन को बनाए रखने के लिए विशेष ध्यान देते हैं।मुख्य रूप से इसके पीछे तीन वजहें होती हैं।

जब भी विदेश से कोई चीज आती है, और उस पर टैक्स लगता है, तो सरकार की Revenue (आय) बढ़ती है।अगर किसी देश से बहुत ज़्यादा सामान आ रहा है,और हमारे देश से वहां कुछ नहीं जा रहा,तो बैलेंस बिगड़ता है।टैरिफ से इस असंतुलन को रोका जा सकता है।टैरिफ लगाकर सरकार विदेशी सामान को महंगा कर देती है, ताकि देश के लोग अपना बना हुआ (Domestic Product) सामान ही खरीदें। इससे स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलता है।

टैरिफ कितने प्रकार का होता है?

Import Tariff: जब किसी देश में बाहर से आने वाले सामान पर टैक्स लगता है।
Export Tariff: जब किसी देश से बाहर जाने वाले सामान पर टैक्स लगता है (आजकल बहुत कम इस्तेमाल होता है)।
Specific Tariff: जब हर यूनिट पर एक फिक्स अमाउंट का टैक्स लगता है। जैसे – ₹500 प्रति किलो।
Ad-Valorem Tariff: जब टैक्स प्रतिशत के रूप में लगता है, जैसे – 10%, 20% आदि।

ज़्यादा टैरिफ से क्या नुक़सान होगा?

टैरिफ के एक ओर जहाँ फ़ायदा है तो वहीं दूसरी ओर नुक़सान भी होता है। ज़्यादा टैरिफ की वजह से विदेशी वस्तुएं महंगी हो सकती हैं, व्यापारिक विवाद या यूँ कहें कि ट्रेड वॉर हो सकता है।ग्राहको को अपने सामान खरीदने के लिए कम विकल्प मिलते हैं।

निष्कर्ष:

टैरिफ एक ऐसा हथियार है, जिससे सरकार देश की आर्थिक सुरक्षा, उद्योगों का संरक्षण और राजस्व में बढ़ोतरी करती है।
हालांकि इसका इस्तेमाल सोच-समझकर और संतुलित तरीके से होना चाहिए, ताकि देश की जनता और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा हो।क्या आपने कभी सोचा है कि आपके मोबाइल, लैपटॉप या कार की कीमत में टैरिफ कितना असर डालता है? अब अगली बार जब आप कोई विदेशी प्रोडक्ट खरीदें, तो समझ जाइए टैरिफ भी उसमें शामिल है।

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